कुछ सवाल हैं जिनके जवाब का इंतजार है

कुछ सवाल हैं जिनके जवाब का इंतजार है।

1, लोग कहा करते थे कि जिसकी मौत आई है वही जाएगा, दूसरे का बाल भी बांका नहीं होगा, क्या ये बात सही है। और यदि सही है तो फिर कोरोना से सभी क्यों डर रहे हैं,पूरी दुनिया अपने घरों में बंद क्यों है ?

2, लोगों से सुनते थे कि जन्म घड़ी और मरण घड़ी निर्धारित होती है उसे कोई टाल नहीं सकता है, क्या यह बात सही है। और यदि सही है तो फिर दुनिया भर के डॉक्टर एवं अन्य मेडिकल स्टाफ परेशान क्यों हैं ?

3, लोग कहा करते थे कि ईश्वर घट घट का वासी है वो सब जगह मौजूद रहता है,क्या यह बात सही है। और यदि सही है तो यह बताओ कि क्या वह कोरोना वायरस में भी रहता है ?

4, कुछ लोग मानते थे कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मौत को टाला जा सकता है। क्या यह बात सही है और यदि सही है तो पूरी दुनिया में आज इस मंत्र का जाप क्यों नहीं किया जा रहा है ?

5, लोग कहा करते थे कि पैसा टका कुछ नहीं है बल्कि यह तो हाथ का मैल है। क्या यह बात सही है और यदि सही है तो कोरोना महामारी के समय भी इस मैल से इतना लगाव क्यों है ?

6, बड़े बड़े विद्वान लोगों से भी सुनते थे कि धार्मिक स्थलों पर पूजा अर्चना करने से मन को सच्ची शांति मिलती है,क्या यह बात सही है। और यदि सही है तो फिर आज पूरी दुनिया में सभी धार्मिक स्थलों को बंद क्यों कर दिया गया है, क्या सरकार लोगों के मन में शांति नहीं देखना चाहती है ?

7, अधिकतर लोग कहा करते थे कि पंचांग देखने से भविष्य के खतरों के बारे में पता चल सकता है,क्या यह बात सही है। और यदि सही है तो कोरोना की इस महामारी के बारे में पंचांग देखने वालों को पता क्यों नहीं चला ?

8, लोगों द्वारा कहा जाता था कि ब्राह्मण के पाँव छुकर आशीर्वाद लेने से धर्म होता है, क्या यह बात सही है। और यदि सही है तो फिर आज ब्राह्मण से एक मीटर की दूरी क्यों रखी जा रही है तो क्या महामारी के समय धर्म की जरूरत नहीं है ?

9, संत कबीर ने कहा था कि नां मैं काशी, नां मथुरा और नां काबा कैलाश में, मोकौ कहाँ ढूंढे रे बंदा, मैं तो हरदम रहता तेरे पास में।

दूसरा उन्होंने कहा था कि ज्यों तिलों में तेल है ज्यों चकमक में आग।

तेरा साईं तुझ में है जाग सके तो जाग।

क्या कबीर जी की ये बातें सही हैं और यदि सही हैं तो फिर आप लोग मंदिर के चक्कर में क्यों पड़े रहते हो ?

10, बुद्ध ने कहा था कि किसी बात को केवल इसलिए मत मानो की वह धर्म ग्रन्थों में लिखी हुई है, इसलिए भी मत मानो की किसी पीर पैगम्बर या महापुरुष की कही हुई है और इसलिए भी मत मानो की इन्हें मानने की बहुत पुरानी परम्परा रही है या फिर बहुत से लोग इसे मानते हैं।

किसी भी बात को तभी मानना चाहिए कि वह आपके ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, विवेक,अनुभव एवं तर्क की कसौटी पर परखने पर खरी उतरती हो, तथागत बुद्ध की क्या यह बात सही है। और यदि सही है तो पाखण्डी एवं अन्धविश्वाशी लोगों की अवैज्ञानिक एवं अतार्किक मूर्खतापूर्ण बातों को मानकर अपना कीमती समय और धन बर्बाद क्यों करते रहते हो ?*
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