प्रधानमंत्री मोदी जी अपवादों के पुतले है |

मोदीजी अपवादों के पुतले हैं।

जो वो कहते हैं, वो हुआ नहीं होता।
उनके ऐतिहासिक तथ्य इतिहास में नहीं होते।
उनके दावे किताबों में नहीं मिलते।
उनका भूगोल, ज़मीन पर नहीं दिखता।
जो दावे किताबों में नहीं होते, वो किताबें झूठी हैं।
किताबें झूठी हैं क्योंकि कांग्रेसी चाटुकारों ने लिखी हैं।
जो कांग्रेसी चाटुकारों ने नहीं लिखी हैं, वो बस किताबें ही तो हैं।
किताबों में लिखी सब बातें सही नहीं होतीं, जब तक कि वो ‘बाल नरेंद्र’ न हो।
उनकी डिग्री कागज़ पर नहीं दिखती।
उनके क्लासमेट दुनिया में नहीं दिखते।
उनकी गरीबी बचपन की फोटो में नहीं दिखती।
जो वो कहते हैं, वो दरअसल में कह नहीं रहे होते।
जो वो कह रहे होते हैं, उसे आप ही नहीं समझ पा रहे होते।
जो ग़लत समझ लिया गया है, उसे भक्तों की नज़र से समझने की ज़रूरत है।
जो भक्त भी नहीं समझ पाते, वो आईटी सेल समझा देता है।
जो उन्होंने सीधे कहा है, आप उसे दूसरे तरीके से सुनिए।
जो उन्होंने कहा था और नहीं हुआ, उसका कारण दूसरे हैं।
मोदीजी फैक्चुअली ग़लत हों तो फैक्ट बदल दिए जाते हैं।
मोदीजी के आंकड़े ग़लत हों तो आंकड़े बदल दिए जाते हैं।
मोदीजी बदले आंकड़ों में भी पिछड़ रहे हों तो पैमाने बदल दिए जाते हैं।
पैमाने बदलने पर भी मोदीजी पिछड़ें तो बेस ईयर बदल दिए जाते हैं।
तब भी आंकड़ों में वो पिछड़ें तो आंकड़े गोल कर दिए जाते हैं।
ये बात सामने आ जाए तो आंकड़ों से होता ही क्या है?
मोदीजी की हार में भी जीत होती है।
मोदीजी की हार में नेहरू कारण हैं।
मोदीजी हारे भी हैं तो बाकियों का देखिए वो और बुरे हारे होंगे।
मोदीजी हार भी गए तो राहुल गांधी तब भी डम्ब हैं।
मोदीजी के विज्ञान में विज्ञान नहीं होता।
मोदीजी के विज्ञान में विज्ञान भले न हो पर वो थ्योरिटिकली संभव है।
भले वो थ्योरटिकली संभव नहीं है, पर असंभव कुछ नहीं।
अगर वो असंभव है तो असंभव मत कहिए NRI बुरा मान जाएंगे।