May Challenge For India – Article

मई दिवस के बाद की चुनौतियां

साथियों, लोक डाउन और उसके अनुभवों से यह साफ हो चुका है कि यह सरकार अथवा व्यवस्था किस तरह काम करती है तथा किसके भले में काम करती है ? सरकारी लापरवाही, निकम्मेपन और सनक के चलते रोजी- रोटी की तलाश में गए हमारे भाई-बहनों को आधी रात में काम छोड़कर अपने गांव के लिए निकलना पड़ा। जो साधन मिला उससे गांव पहुंचे, कई रास्ते में अटक गए, हजारों को रोक दिया गया , जहां वे खाने पानी की सही व्यवस्था से भी मोहताज रहे। जो चल पड़े वो भूख से बेहाल रहे, रास्ते में डंडों से और कीटनाशकों से उनका स्वागत होने लगा।

व्यवस्था ने यह समझ लिया है कि मजदूर कीड़े मकोड़े हैं, इंसान नहीं है। खैर… हम और हमारे परिवार के साथ जो बीती है उसे हमेशा याद रखना है। अब अधिकांश लोग वापस घर पर लौट आए हैं और जिंदगी के बारे में असमंजस में हैं। सरकारी राहत के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा है। हालत यह है कि सभी मजदूर तथा गांव में रहने वाले गरीब आधे भूखे रहकर अपने परिवार का जैसे तैसे लालन पालन कर रहे हैं। शहरी बस्तियों के गरीबों, मजदूरों तथा रोज कमाने और रोज खाने वालों के भी हाल बेहाल है। यहाँ साबित हो गया है कि स्वास्थ्य की सुविधाएं तो चरमराई हुई है ही, पर अब शिक्षा का मामला भी अधिक चरमरा कर ढह गया है। ऐसे में हमारे बच्चों का भविष्य क्या होगा, हमारा भविष्य क्या होगा, हमारे गांव का भविष्य क्या होगा, हमारे क्षेत्र का भविष्य क्या होगा ? यह सोचना अनिवार्य है।?

साथियों, यह तय है कि हमारे ऊपर किसी भी प्रकार की कठिनाई आने पर हम लौट कर अपने गांव जाते हैं। उसी गांव जाते हैं जिसके बारे में हम कई बार कुछ भी नहीं सोचते हैं । वही हमें संबल मिलता है , शांति मिलती है और अपने लोग मिलते हैं।

इस थोपे गये लोकडाउन के अनुभवों से हम इस निष्कर्ष को स्वीकार कर सकते हैं कि मजदूरों ने ही यह दुनिया बनाई है तथा मजदूरों से ही चलती है। लेकिन ज्यादातर मजदूरों की जडे तो गांव में ही है। इसलिए हमें गांवों को बेहतर बनाने के लिए खेती को ठीक करना पड़ेगा। गांव में ही रोजगार के अवसरों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और भ्रष्ट तत्वों के विरुद्ध शुरू की गई लड़ाई को और तेज करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, वर्तमान जनविरोधी व्यवस्था को उलटने की दिशा में भी ज्यादा तेजी से व मजबूती से आगे बढ़ना पड़ेगा। अब दुनिया ऐसी नहीं रहेगी जैसी इस मई दिवस से पहले थी। यह मानकर चलें कि इस मई दिवस के बाद की दुनिया हमारे लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। ?

हमें यह समझना है कि सरकार तो अपना काम कर ही रही है! तो क्यों नहीं हम भी अब इन चुनौतियों को मुकाबिल होने के लिए ज्यादा तेजी से कोशिश करें और ज्यादा तेजी से काम करें। ताकि यह जनविरोधी निजाम जल्दी से जल्दी उलट सके और मेहनतकश, गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के हित की व्यवस्था स्थापित हो सके। हम मिलकर कोशिश तेज कर सके तभी हमारा भला होगा। इसलिए साथियों, कमर कस कर आगे बढ़ो और संगठन को मजबूत करो! यही इस समय की मांग है। हमारा संगठन- जिन्दाबाद, एकजुट संघर्ष- जिन्दाबाद। लडेंगे और जीतेगे। इसी उम्मीद के साथ। जिन्दाबाद साथियो✊