प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएम केयर्स की खबर…

पहले प्रधानमंत्री राहत कोष का घोटाला पढ़िए। यह पहली किस्त है। लिंक आखिरी क़िस्त में मिलेगी।

प्रधानमंत्री राहत कोष की दस साल की बैलेंस शीट बताती है कि राहत देने के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी ढीले थे। लेकिन नरेंद्र मोदी ने राहत देने की बात दूर उसका गैरकानूनी और बेजा इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। जो अपराध की श्रेणी में आता है।

उन्होंने जनता के ऊपर खर्च करने के लिए दान में मिले पैसे को न केवल बेनामी चीजों में लगाया बल्कि उससे सरकारी लोन चुकता करने जैसा अपराध भी किया। जो अंतत: सीधे-सीधे कॉरपोरेट के लिए मददगार साबित हुआ।

प्रधानमंत्री राहत कोष की साल 2009 से साल 2019 तक की बैलेंस शीट इसकी वेबसाइट के अबाउट पीएमएनआरफ के पन्ने पर पड़ी हुई है। यह बैलेंस शीट बताती है कि नरेंद्र मोदी ने साल 2016-17 में कुल 2750 करोड़ रुपये बैंकों के टायर टू बॉन्ड और फिक्स डिपॉजिट में खर्च किए। इसके बाद साल 2017-18 में उन्होंने इसमें से 1000 करोड़ रुपये के बॉन्ड या तो बेच दिए या फिर कहां किसे दिए, इसका कोई हिसाब नहीं है।

साल 2017-18 की बैलेंसशीट यह जरूर दिखाती है कि इस साल 1750 करोड़ रुपये इसी मद में यानी कि बैंकों के टायर टू बॉन्ड और फिक्स डिपॉजिट में लगा हुआ है। (इसके कागज़ नीचे फ़ोटो में देखिए)

आपको बता दें टायर टू बॉण्ड एक तरह से बेनामी इन्वेस्टमेंट होते हैं, जिसे बैंक न तो अपने खाते में कहीं दर्ज करते हैं और न ही बैलेंस शीट में दिखाते हैं।

यह बैंकों की दोयम दर्जे की पूंजी होती है। जोखिम भरा होने के साथ ही इनका मूल्यांकन फिक्स नहीं होता है। हालांकि ब्याज ज्यादा मिलता है लेकिन असुरक्षित निवेश माना जाता है।

यह एक किस्म का सट्टा है। और जनता के किसी पैसे से वह भी दान के पैसे का कम से कम सट्टा या जुआ नहीं खेला जा सकता है। यह अपने आप में न केवल गैरकानूनी है बल्कि अपराध की श्रेणी में आता है।

यह भी जानने का कोई तरीका नहीं है कि इस पैसे में से कितना वापस मिला और कितना डूब गया।

साल 2018-19 की बैलेंस शीट में पिछले साल का बैलेंस यानी कि साढ़े सत्रह सौ करोड़ रुपये को साल 2018-19 की बैलेंस शीट में लाया गया है, लेकिन इस साल के बैलेंस को जीरो कर दिया गया है। यानी यह साढ़े सत्रह सौ करोड़ रुपये भी उन्होंने गायब कर दिए। साल 2016-19 में ये पैसे पीएम मोदी ने कहां खर्च किए, इसकी जानकारी बैलेंस शीट में कहीं नहीं है।

प्रधानमंत्री राहत कोष की वेबसाइट पर साल 2009 से लेकर साल 2019 तक की बैलेंस शीट और ऑडिटिंग उपलब्ध है जिसे कोई भी चेक कर सकता है। यानी कोई चाहे तो वहां जाकर देख सकता है कि मनमोहन सिंह ने दान के पैसों को कहां खर्च किया और नरेंद्र मोदी ने इन पैसों को कहां खर्च किया। जनता के दान के पैसे की ऑडिटिंग कैग को करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

हिसाब-किताब का जिम्मा सार्क एंड एसोसिएट्स चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को दिया गया है, जिसका ऑफिस उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर 78 में है। यह जिम्मा इस फर्म को किस सन् में दिया गया और इसके लिए इस फर्म को कितना भुगतान किया जाता है, इसकी भी जानकारी प्रधानमंत्री राहत कोष की वेबसाइट पर नहीं है। (फिर कागज़ देखिए)

हम यह दावा नहीं कर सकते कि प्रधानमंत्री राहत कोष की वेबसाइट पर जनता के दान के पैसे का जितना भी हिसाब किताब दिया गया है, सारा इसी फर्म ने बनाया है।

क्या कोई है ये सवाल करने वाला कि हमने जो पैसा मुसीबत के मारे लोगों की मदद के लिए दिया था, मोदी उससे उधार क्यों चुकता कर रहे हैं? सरकार जो उधार लेती है, क्या वह राष्ट्रीय आपदा है जिसे चुकाने के लिए मोदी जी आपदा राहत कोष से पैसे दे रहे हैं? आपकी राजनीतिक प्रतिबद्धता किसी भी पार्टी के साथ हो सकता है लेकिन आप इस बात से तो सहमत ही होंगे कि आपके खून पसीने की कमाई अगर कहीं लगे तो उसी काम के लिए लगे, जिस काम के लिए उसे आपने दिए हैं।